अपने ही दोस्तों का मांस खाने पर मजबूर हुए ये खिलाड़ी एक खौफनाक प्लेन क्रैश का शिकार हुए थे । रग्बी की पूरी टीम में से सिर्फ 7 ही बच पाए थे ।
New Delhi, Oct 15 : दुनिया में कई ऐसे खौफनाक हादसे होते हैं जिसमें जिंदा बचे इंसान मौत के मुंह से तो बाहर आ जाते हैं लेकिन उनके जीवन का संघर्ष इतना भयावह हो जाता है कि वो ताउम्र उन खौफनाक दिनों को भुला नहीं पाते । ऐसी कई घटनाओं के उदाहरण इतिहास में मिलते हैं जहां हादसों के बाद लोगों ने नारकीय जीवन जिया लेकिन संघर्ष का दामन नहीं छोड़ा । उनकी हिम्म्त ने आखिरकार उन्हें बचा लिया । कुछ ऐसा ही हुआ चिली में हुए एक प्लेन क्रैश में ।
चिली में हुआ प्लेन क्रैश
दुनिया के इतिहास में दर्ज ऐसे ही एक प्लेन क्रेश में शामिल है 13 अक्टूबर 1972 की तारीख । इस दिन उरुग्वे से एक प्लेन ने उड़ान तो भरी थी लेकिन वो रास्ते में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया । खराब मौसम के चलते ये प्लेन चिली के बॉर्डर से लगभग 30किमी. दूर अर्जेटीना के मेंदोजा प्रोविंस में क्रैश हो गया था ।
रग्बी टीम समेत 45 लोग थे सवार
इस प्लेन में कुछ 45 लोग सवार थे । प्लेन क्रेश इतना खौफनाक था कि सवारियों में से 12 की तुरंत ही मौत हो गई थी जबकि 17 लोगों ने बाद में गंभीर हालत में दत तोड़ दिया । रग्मी टीम के खिलाडि़यों में से भी सिर्फ 7 खिलाड़ी ही जिंदा बच पाए । हादसमें बचे लोगों ने अगले कुछ दिनों तक मौत से भी बुरा समय देखा ।
मैच खेलने जा रही थी रग्बी टीम
इस प्लेन में सवार रग्बी टीम उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन क्लब से थी जो चिली के सैंटियागो में मैच खेलने जा रही थी । हादसे से पहले तक टीम पूरे उत्साह में थी । खिलाडि़यों में परा जोश था । लेकिन उन्हें क्या पता था जिन साथियों के साथ वो ये सफर कर रहे हैं उनके ही शव उन्हें देखने पड़ेंगे और होगा कुछ ऐसा खौफनाक भी जो उन्हें ताउम्र सोने नहीं देगा ।
प्लेन में था कुछ खाने-पीने का सामान
प्लेन में हादसे के वक्त मौजूद खाने-पीने के सामान को लोगों ने छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लिया था ताकि वो रेस्क्यू टीम के पहुंचने तक जिंदा रह सकें । पीने के पानी के लिए लोगों ने बर्फ को पिघलाने की तकनीक अपनाई । लेकिन ये सब कितने दिन चलता 2 से 3 दिन में ही लोग भूख से बेहाल हो गए ।
खौफनाक : जब खाना पड़ा अपने ही दोस्तों का मांस
दिन गुजर रहे थे लेकिन कोई बचे हुए 16 लोगों को रेस्क्यू करने नहीं पहुंचा । खाना भी खत्म हो चुका था । जिंदा रहने के लिए इंसान को क्या कुछ करना पड़ सकता है ये इस हादसे में पता चला । बचे हुए लोगों अपने साथियों के शवों के टुकड़े कर उन्हें खाना शुरू किया । ये पल इन बचे हुए लोगों के लिए सबसे भयानक रहे होंगे । इस हादसे में बचे डॉ. रोबटरे कानेसा के मुताबिक उन्होने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मुझे जिंदा रहने के लिए अपने ही दोस्त का मांस खाना पड़ा।’
दो रग्बी खिलाडि़यों ने बचाई सबकी जान
हादसे के 60 दिन बाद भी कोई रेस्क्यू के लिए नहीं पहुंचा । बचे हुए 16 लोग अब बचने की आस छोड़ चुके थे । ऐसे में 2 खिलाडि़यों ने हिम्मत दिखाई और खुद जाकर मदद लाने की ठान ली । जिस जगह प्लेन क्रैश हुआ था वो इतनी दूर थी कि कई किमी. तक कुछ भी नजर नहीं आ रहा था । लेकिन इन दो लोगों ने खौफनाक मौत को गले लगाने से बेहतर कोशिश को चुना ।
मदद की तलाश में एंडीज पर्वत किया पार
हादसे में बचे दो खिलाड़ियों नैन्डो पैरेडो और रॉबटरे केनेसा ने मदद के लिए ठान लिया था । पड़े-पड़े मरने से अच्छा उन्होने सबकी जान बचाने का सोचा । खिलाडि़यों ने किसी तरह बर्फ पर ट्रैकिंग शुरू की । तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए इन खिलाडि़यों ने एंडीज पर्वत को पार किया और चिली के आबादी वाले इलाके में पहुंच गए ।
रेस्क्यू टीम को बताई साथियों की लोकेशन
चिली के आबादी वाले इलाके में पहुंचकर दोनों ने चैन की सांस ली । यहां पहुंचकर उन्होने रेस्क्यू टीम से संपर्क किया और अपने बाकी बचे साथियों की जगह बताई । इन दो जाबांज खिलाडि़यों की वजह से प्लेन क्रैश में बचे हुए खिलाड़ी बचाए जा सके । 23 दिसंबर 1972 को रेसक्यू दल ने बचे हुए सभी 16 लोगों को सकुशल रेस्क्यू किया । इस खौफनाक घटना पर 1974 में एक किताब भी आई थी जिस पर एक फिल्म भी बनाई गई ।