यहां रह रहे आंध्र प्रदेश के एक बुजुर्ग कपल को पिछले सात सालों से अपने मृत्यु का इंतजार है, हैरान करने वाली बात ये है कि इस कपल के चार बेटे हैं, लेकिन सब कुछ छोड़ ये दंपत्ति काशी में अपने मौत का इंतजार कर रहे हैं।
New Delhi, Jan 17 : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक ऐसा मामला सामने हैं, जिसे सुनकर हर कोई परेशान है, दरअसल यहां रह रहे आंध्र प्रदेश के एक बुजुर्ग कपल को पिछले सात सालों से अपने मृत्यु का इंतजार है, हैरान करने वाली बात ये है कि इस कपल के चार बेटे हैं, चारों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, लेकिन ये बुजुर्ग दंपत्ति वाराणसी के मुमुक्ष भवन की एक छोटी सी कठोरी में रात-दिन भगवान शिव की अराधना कर रहे हैं।
डीन पद से रिटायर
आंध्र प्रदेश में वेल्लूर कॉलेज से संस्कृत के डीन पद से रिटायर हुए आचार्य डॉ. अवतार शर्मा ने एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए कहा कि वो और उनकी पत्नी दोनों रिटायर्ड हैं, पिछले चार साल से दोनों काशी में किराये पर रह रहे है, करीब तीन साल पहले वो मुमुक्ष भवन में मोक्ष प्राप्ति और काशी लाभ को आये थे, तब से वहीं रह रहे हैं, उनकी पत्नी वेंकटरमन अम्मा तेलुगु लिट्रेचर की टीचर थी।
बेटे आते हैं मिलने
डॉ. अवतार शर्मा ने बताया कि उनके बेटे तीन-तीन महीने में उनसे मिलने आते रहते हैं, उन्होने कहा कि हम दोनों ने जीवन का उद्देश्य ही बनाया था कि बच्चों को अच्छी परवरिश देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना है, वो आज अपने पैरों पर खड़े हैं, इसलिये हम काशी चले आए, बच्चों ने साथ नहीं छोड़ा है, बल्कि हम अपनी मर्जी से ही यहां रहने आ गये हैं, क्योंकि हमने बचपन में ही सुना था कि यहां मृत्यु आने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बनवाया पंचमुखी शिवलिंग
आपको बता दें कि यहां 11 फीट का पंचमुखी शिवलिंग है, इसकी एक मात्र परिक्रमा से 3 करोड़ 25 लाख पंचअक्षरीय मंत्र और ऊं नमः शिवाय और 12 द्वादश ज्योतिर्लिगों के दर्शन का फल मिलता है। डॉ. अवतार शर्मा ने ही इस पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण करवाया है, वो दिन रात इसी की पूजा-अराधना में लगे रहते हैं। आपको बता दें कि इस शिवलिंग की स्थापना 16 मार्च 2016 को हुई थी, डॉ. शर्मा के अनुसार उनका संकल्प 7 करोड़ पंच अक्षरीय मंत्रों का है, जिसे वो भक्तों से लिखवा रहे हैं।
कॉपी में लिखते हैं मंत्र
ये मंत्र भारत के साथ-साथ विदेशों में भी रहने वाले भक्त इनके द्वारा दी जाने वाली कॉपी में लिखते रहते हैं, फिर बाई पोस्ट या फिर काशी आकर उसे जमा करते हैं, डॉ. शर्मा ने इस मंदिर को बनवाने के लिये 12 कारीगरों को वेल्लूर से बुलवाया था, साथ ही उन्होने साढे आठ लाख रुपये भी खर्च किये थे, ये मंदिर 28 दिनों में बनकर तैयार हो गया था।
4 बेटे हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर
डॉ. अवतार शर्मा ने बताया कि उनके 4 बेटे हैं, चारों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, दो बेटे अमेरिका में सेटल हैं, तो एक बंगलुरु और एक हैदराबाद में जॉब करता है। एक बेटा तो एमेजॉन में बड़े पद पर कार्यरत है, बेटे तीन-तीन महीने के अंतराल पर मिलने आते रहते हैं, भरा-पूरा परिवार है, लेकिन हम अपनी इच्छा से ही काशी आए हैं और यहीं पर मौत चाहते हैं।
13 साल की उम्र से जिम्मेदारी उठाई
डॉ. शर्मा ने आगे बताते हुए कहा कि सिर्फ 13 साल की उम्र में ही उनकी पत्नी वेंकटरमन अम्मा के पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद मैंने उनकी जिम्मेदारी उठाई, फिर बाद में उनसे शादी की। साल 2006 में उनका मेजर एक्सीडेंट हो गया था, जिसकी वजह से उनकी रीढ की हड्डियां टूट गई थी, तीन बार ऑपरेशन करना पड़ा, आज भी उनके भीतर प्लेटें लगी हुई है।
डॉक्टर के मना करने के बावजूद काशी आ गये
अवतार शर्मा ने बताया कि पत्नी के एक्सीडेंट के बाद डॉक्टर ने उन्हें कहीं भी ज्यादा घूमने-फिरने से मना किया था, उनके मना करने के बावजूद हम पति-पत्नी साल 2011 में काशी आ गये, लेकिन बाबा विश्वनाथ की कृपा से हम अभी तक स्वस्थ्य हैं, हम दोनों यहीं मौत चाहते हैं, ताकि हमें मोक्ष मिले।
इसलिये चाहते हैं यहां मृत्यु
उन्होने कतहा कि साल 2011 की सुबह के समय मैं बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर रहा था, तभी अचानक मुझे महसूस हुआ कि बाबा विश्वनाथ ने मुझे कुछ मिनट के लिये गले लगा लिया, इतना ही नहीं उसी समय मुझे कठिन दस महाविद्या का मंत्र अचानक कंठस्थ हो गया, तभी मैंने निर्णय कर लिया अब इसी नगरी में मरना है, तब से बाबा की सेवा कर रहे हैं।