मंत्रों का जाप करने से पहले क्या करना चाहिए, जिस से शुभ फल मिल सके, वो गलतियां जो अक्सर मंत्र जाप से पहले लोग करते हैं, जानिए उनके बारे में
New Delhi, Oct 31: हमारे हिंदू धर्म में पूजा का महत्व कई बार बताया गया है। शास्त्रों में, पुराणों में अपने ईष्ट देव की आराधना के तरीके बताए गए हैं। ये भी बताया गया है कि पूजा किस तरह से करनी चाहिए, पूजा करते समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हम मंगल कामना के लिए मंत्रों का जाप भी करते हैं। आज हम मंत्र के जाप को लेकर कुछ बातें आपको बताएंगे, मंत्र जाप करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो अच्छा होने के बजाय मुश्किलों का साया घेर लेता है। मंत्रों की शक्ति को हमारे ऋषि-मुनि अच्छी तरह से जानते थे। मंत्र जाप के लिए कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है। हम उन्ही के बारे में बताएंगे।
मंत्र जाप से पहले
हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि मंत्रों का जाप करने से पहले क्या करना चाहिए। मंत्र जाप करने से पहले शाप विमोचन और विनियोग करना चाहिए, विनियोग जाप करने से पहले की एक क्रिया होती है। इन दोनों का करना बहुत जरूरी माना गया है। ऐसा करने के बाद ही आपके द्वारा जपे गए मंत्रों का फल मिलता है। अगर ये नहीं किया तो मंत्र जाप का फल नहीं मिलता है।
पंचोपचार पूजन जरूरी
मंत्र का जाप शुरू करने से पहले कुछ काम हैं जो जरूर करने चाहिए। ऐसा नहीं करने से फल की प्राप्ति नहीं होती है। मंत्र जाप से पहले पंचोपचार पूजा करनी चाहिए, जिसका मतलब है कि मंत्र जाप से पहले धूप, दीप, नैवैद्य , फूल और आरती के द्वारा पंचोपचार पूजन जरूरी है। ऐसा करने से मंत्र जाप की शुभ शुरूआत होती है और मंत्र जाप का उचित फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
गुरु से मिले मंत्र का ही जाप करें
ये तो आप सब जानते ही हैं कि गुरू की महिमा क्या होती है। गुरू वो होता है तो जो ईश्वर से आपका साक्षात्कार करवाता है। इसलिए गुरू को भगवान से भी ऊपर माना जाता है। कोई भी मंत्र जाप नहीं करना चाहिए। सिद्ध गुरू द्वारा दिए गए मंत्र का ही जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल हासिल होता है। गुरू के बताए मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।
शारीरिक और मानसिक पवित्रता
मंत्र का जाप करने से पहले जो जाप करने वाला है उसे पवित्र होना चाहिए, केवल शारीरिक पवित्रता ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी वो पवित्र होना चाहिए। इस नियम का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। जो जाप करने वाला है उसके मन में बुरे विचार नहीं होने चाहिए, वो किसी का बुरा चाहने वाला नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर मंत्र जाप का फल नहीं मिल पाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में करें जाप
मंत्रों का जाप करने के लिए आदर्श समय क्या हो सकता है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है। मंत्र जाप हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए। इसी के साथ निश्चित दिशा और स्थान पर बैठकर ही मंत्र जाप करना चाहिए। ध्यान रखें कि मंत्र जाप के समय वातावरण शांत हो, इसके लिए ही कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जाप करना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत रहता है
कठोर नियम हैं
मंत्र जाप करने वाले साधक को कई कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि कोई भी कभी भी मंत्र का जाप करने लगे। साधक को सत्य, ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। उसे अपने गुस्से पर भी नियंत्रण रखना होता है। अल्पाहार यानि साधक को कम खाने वाला होना चाहिए। अगर ऐसा है तभी मंत्र जाप का फल मिलता है। ये सारे नियम अनिवार्य रूप से पालन करने चाहिए।
नैतिक पवित्रता
मंत्र का जाप करने वाला साधक नैतिक तौर पर पवित्र होना चाहिए, वो झूठ नहीं बोलता हो, कम बोलता हो, अपने निजी जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करता हो, इस तरह के लोग मंत्र का जाप करते हैं तो उनको मनवंछित फल मिलता है। मंत्र जाप एक आराधना है, तपस्या है. उसके नियमों का कठोरता से पालन किया जाना चाहिए। जाप करने वाला पवित्र है तो शुभ फल मिलता है।