हमारे धर्मशास्त्रों में मनुष्यों के लिए कई ऐसी बातें बताई गई हैं जो उन्हें पाप करने से बचाती हैं । कुछ ऐसी गलतियां भी हैं जो महापाप कहलाती हैं और जिसकी सजा के रूप में उन्हें नर्क की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं ।
New Delhi, Nov 21 : धर्म शास्त्रों में अहम स्थान रखने वाले नारदपुराण में कुछ कामों को करने से मनुष्य को चेताया गया है । उन्हें बताया गया है कि अगर वो ऐसी गलतियां करते हैं तो उनके लिए ये सही नहीं है । मृत्यु के बाद उन्हें नर्क की यातनाएं झेलनी पड़ सकती हैं । कुछ ऐसे काम जिन्हें करने से आज आपका मन नहीं हिचकता लेकिन उसके परिणाम बाद में खतरनाक हो सकते हैं । ये जानकारी हर एक मनुष्य के लिए जरूरी है क्योंकि जाने-अनजाने में की गई गलती भी पाप का भागीदार बना सकती हैं ।
गुरुपत्नी से संबंध
हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया । संतों ने भी कहा है कि अगर गुरु और भगवान दोनों सामने खड़ें हों तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि वो गुरु ही होते हैं तो ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग सुझाते हैं । ऐसे में भगवान समान गुरु की पत्नी के साथ संबंध बनाना ये महापाप नहीं तो और क्या कहलाएगा । गुरुपत्नी से संबंध बनाना अक्षमय अपराध है जिसकी सजा बेहद कठोर है ।
चोरी करना पाप है
बचपन से हमें सिखाया जाता है चोरी करना पाप है, शास्त्रों में इसे महापाप की श्रेणी में रखा गया है । जो भी व्यक्ति छल से, ठगी से किसी की वस्तु या धन चुराने की कोशिश करता है वो महापापी कहलाता है । उसके सारे पुण्य कर्म नष्ट होकर पाप के भागी बन जाते हैं । चुराई हुई वस्तु उसे सांसारिक जीवन में तो लाभ दे सकती है लेकिन इसका फल मृत्यु के बाद बेहद भयानकर हो सकता है । चोरी करने वाले औश्र चोरी में साथ देने वाले दोनों ही लोग पाप के भागीदार बनते हैं ।
शराबियों को भी माफी नहीं
नारद पुराण के अनुसार शराब तीन प्रकार की होती है – गौड़ी यानी गुड़ से बनाई गई शराब , पैष्टी यानी चावल के आटे से बनाई गई शराब, माध्वी यानी फूल, अंगूर आदी के रस से बनाई गई शराब । स्त्री हो या पुरुष इनमें से किसी भी तरह की शराब को हाथ नहीं लगाना चाहिए । शराब पीने वाला व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है । ऐ व्यक्ति से ईश्वर कभी प्रसन्न नहीं होते । नर्क में उन्हें कई तरह की यातनाओं से गुजरना पड़ता है ।
ब्रह्म हत्या महापाप
ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से हुई है । धर्म शास्त्रों और पुराणों में ब्राह्मण सबसे ऊंचे स्थान पर हैं । वो पूजा के योग्य माने गए हैं । मनुष्य से अगर गलती से भी ब्रह्म हत्या हो जाए तो उसे महापापी माना जाता है । ऐसा काम करने वाले और इसमें उसका साथ देने वाले व्यक्ति को ब्रह्म हत्या का दोषी माना जाता है ।
दी जाती हैं ऐसी यातनाएं
ब्रह्म हत्या करने वाले महापापी को नरक में कुंभीपाक जैसी यातना भोगनी पड़ती है । शराबियों को विलेपक नाम की सजा भोगनी पड़ती है । चोरी करने वाले व्यक्ति को तामिस्त्र नाम की सजा का भागी बनाया जाता है । वहीं गुरुपत्नी से संबंध बनाने वाले घोर पापी को जयंती नामक सजा का पात्र बनाया जाता है । नरक में इससे भी बुरी-बुरी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं ।
भगवान का नाम ना लेने वाले
जीवन में कभी भगवान का नाम ना लेने वाले व्यक्ति भी नर्क के भागीदार बनते हैं । विशेष तौर पर वो लोग जो भोजन करते हुए भगवान का नाम नहीं सिमरन करते । अपने भोजन में देवताओं और पितरों के लिए अंश निकालकर फिर भोजन करना चाहिए । ऐसा ना करने वाले व्यक्ति को नर्क में लालभक्ष नाम के यमदूत द्वारा गिराया जाता है ।
इन पापों की भी है घोर सजा
पुराणों के अनुसार झूठी गवाही देने वाला व्यकित रौरव नरक में जाता है । गायों और सन्यासियों को बंद करने वाला व्यक्ति पापी रोध नरक में जाता है । जो अपने भक्त की हत्या का पाप करता है उसे तप्तलोह नरक में तपाया जाता है । वेद शास्त्रों का अपमान करने वाले व्यकित को लवण नामक नरक में गलाया जाता है ।
जानवरों पर जीवन यापन करने वाले
कई मनुष्य अपने स्वार्थ हेतु जानवरों को व्यापार करते हैं । जानवरों पर अपनी आजीविका चलाने वाला व्यक्ति भी पाप का भागीदार है । प्रकृति ने जानवरों की रचना स्वतं. घूमने के लिए की है ना कि मनुष्यों की आजीविका साधन बनने के लिए । ऐसे मनुष्य पूयवह नरक में जाते हैं और यातनाओं के भागी बनते हैं । वहीं दूसरों के लिए बैर भाव रखने वाले व्यकित को रुधिरान्ध नरक में डाला जाता है।