माता सीता की आराधना वो भी भगवान राम के बिना, शायद ही आप ऐसा कोई मंदिर जानते हैं । आइए आज आपको ऐसे ही दो मंदिरों के बारे में बताते हें जहां माता सीता की आराधना अकेले की जाती हैं ।
New Delhi, Nov 22 : माता सीता के मंदिर जहां उनकी आराधना भगवान राम के बिना होती है, ये सुनकर आप थोड़े हैरान जरूर होंगे । माता सीता का भगवान श्री राम से अलग अस्तित्व देख पाना संभव नहीं । ज्यादातर जगहों में राम दरबार की पूजा की जाती है । जहां माता सीता प्रभु श्री राम, देवर लक्ष्मण और श्री राम भक्त हनुमान के साथ नजर आती हैं । इसी रूप में उन्हें सदियों से पूजा जा रहा है । लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी है जहां माता सीता की आराधना अकेले होती है ।
मध्यप्रदेश के कराली का जानकी माता मंदिर
रंगपंचमी के त्यौहार पर मध्यप्रदेश के कराली मंदिर में हजारों श्रद्धालु जुटते हैं । यहां माता जानकी का मंदिर है । मान्यता है कि यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम रहा था और इसी जगह पर माता सीता तब आई थीं जब वो गर्भ से थीं और राम ने उनका परित्याग कर दिया था । इस मंदिर में माता का प्रवास काफी समय तक रहा था ।
लव कुश का हुआ था जन्म
इसी जगह पर माता सीता ने भगवान श्रीराम के दो पुत्रों लव-कुश को जन्म दिया था । लव कुश का पूरा बाल्यकाल यहीं इसी मंदिर में बीता है । करीला में जानकी माता के मंदिर के साथ लव कुश और महर्षि वाल्मिीकि का भी मंदिर है । इस मंदिर की यहां बड़ी मान्यता है । लोग यहां दूर – दूर से मन्नत मांगने आते हैं । माता सीता से अपने सौभाग्य की कामना करते हैं ।
रंग पंचमी पर लगता है राई मेला
हर वर्ष रंगपंचमी पर यहां मेले का आयोजन होता है । माता सीता के मंदिर में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जाते हैं । 2 दिन तक माता सीता की जय जयकार होती है । इन्हे करीला की जानकी मैया के नाम से पुकारा जाता है । माता सीता के त्याग को याद कर हर साल यहां बेडिया समुदाय का मेला लगता है । जहां आकर बेड़नियां माता सीता की याद में खूब नृत्य करती हैं, इसे राई नृत्य कहा जाता है ।
मनोकामना पूरी होने पर भक्त करते हैं नृत्य
रंगपंचमी के दिन ही लव-कुश का जन्म होने की बात कही जाती है । इसी खुशी में यहां हर साल ये आयोजन होता है । माता जानकी मंदिर में लोग अपनी मुरादें लेकर पहुंचता है । यहां आने पर लोगों की सूनी गोद भरती है, जीवन समृद्ध होता है साथ ही शादी का सपना भी पूरा होता है । मान्यता हे कि इस मंदिर में आने के बाद जिन लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं वे पंचमी के मेले में राई नाच भी करते हैं ।
श्रीलंका में भी है सीता माता का मंदिर
ये तो हुई भारत की बात, अब आपको बताते हैं उस मंदिर के बारे में जहां माता सीता का अपहरण कर उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था । जी हां सीता मां का एक मंदिर श्रीलंका में भी है । जहां सिर्फ उनकी पूजा की जाती है । श्रीलंका का ये सीता मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है । इस मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ी जाती है ।
यहां बंदी बनकर रहीं थीं सीता
रावण के राज्य माने जाने वाले श्रीलंका में इस सीता अम्मान मंदिर की स्थापना की गई है । ये यहां के ‘न्यूवार इलिया’ नामके एक पर्वतीय स्थल पर बनाया गया है जो कैन्डी रोड पर सिथत है । माता सीता जी के इस एकमात्र मंदिर का निर्माण 1998 में हुआ है । मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर ही उन्हें रावध ने बंदी बनाकर रखा हुआ था ।
पर्यटन का प्रमुख केन्द्र
इस स्थान को श्रीलंका सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निर्मित किया है । एक शांत ग्रामीण इलाके में बने इस मंदिर को देखने पर्यटक यहां पहुंचते हैं । इस प्रोजेक्ट को सीता इलिया प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है । मंदिर की गोलाकार छत बेहद खूबसूरत है, इस पर बहुरंगी पौराणिक चित्र बने हुए हैं जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं ।
धरोहर है ये मंदिर
बहुत ही कम समय में लोकप्रिय हो चुके सीता अम्मान टेम्पल को ट्रस्ट द्वारा व्यवस्थित किया जाता है । इस मंदिर के निकट हनुमान जी का भी एक मंदिर बनाया गया है । जो माता सीता के मंदिर को भी पूर्ण करता है । श्रीलंका सरकार मंदिर और इस पर लगातार काम कर रही हैख, तसाकि इस जगह को और अधिक खूबसूरत बनाया जा सके ।