चंद्रग्रहण पर भूल से भी ना करें ये गलतियां, वरना मिल सकते हैं अशुभ संकेत

31 जनवरी 2018 को चंद्रग्रहण लगने वाला है। इस दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इन चीजों को गलती से भी ना करें।

New Delhi, Jan 29: 31 जनवरी को 05 बजकर 58 मिनट से 08 बजकर 41 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा। इस दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण को ज्योतिषशास्त्र की एक अहम कड़ी माना गया है। सनातन हिंदू धर्म में ज्योतिष पर विश्वास करने वालों की कोई कमी नहीं है। इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें और जीवन में सफलता पाएं।

इन बातों का ध्यान रखें
चंद्रग्रहण के समय मूर्ति छूना, भोजन तथा नदी में स्नान करना वर्जित माना जाता है। सूतक काल के समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। भोजन ग्रहण करने और पकाने से दूर रहना अच्छा माना जाता है। देवी देवताओं और तुलसी आदि को स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूतक के दौरान गर्भवती स्त्री का घर से बाहर निकलना और ग्रहण देखना वर्जित माना जाता है।

गर्भवती महिलाएं ध्यान दें
गर्भवती स्त्री का ग्रहण के वक्त घर से बाहर निकलना शिशु की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि इससे उसके अंगों को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा नाख़ून काटना, बात कटवाना जैसी गतिविधियों से भी ग्रहण और सूतक काल के समय परहेज करना चाहिए। माना जाता है इस काल में स्त्री प्रसंग से बचना चाहिए अन्यथा आंखों से संबंधित बिमारियों के होने का खतरा बना रहता है।

गंगाजल से करें ये काम
ग्रहण समाप्त होने के पश्चात् पुरे घर को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए और सूतक काल प्रारंभ होने से पूर्व दूध, जल, दही, अचार आदि खान-पान की सभी चीजों में कुशा या तुलसी के पत्ते दाल देने चाहिए। माना जाता है ग्रहण के दौरान खान पान की सभी चीजें बेकार हो जाती है और वे खाने लायक नहीं रहती। ऐसा करने से आप ग्रहण समाप्त होने के बाद इन्हें पुनः खा सकते है।

जप करें, फायदा मिलेगा
चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।

अन्न से दूरी बनाएं
सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है। सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं। इसके साथ ही कुछ और बातें हैं।

तुलसी का इस्तेमाल ऐसे करें
ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए। ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

इन बातों का ध्यान रखें
जो बातें हमने आपको बताई हैं, ये सब बातें ज्योतिषशास्त्रियों की बातें हैं। कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान कई दशाएं और दिशाएं बदलती हैं, जिनका सीधा असर इंसान की जिंदगी पर होता है। इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप ज्योतिषशास्त्र पर विश्वास करते हैं, तो ये बातें आपके लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं।