भोलेनाथ की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। इनका प्रयोग कैसे करना है, और बेल पत्र के और क्या फायदे होते हैं जाने के लिए पढ़िए।
New Delhi, Oct 27: भोलेनाथ की कृपा हासिल करने के लिए भक्त तमाम तरह के उपाय करते हैं। हालांकि ये माना जाता है कि शंकर भगवान बहुत भोले हैं, वो बहुत आसानी से भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। उनके भोलेपन के बारे में पुराणों और हमारे धार्मिक ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है। अपने भोलेपन के कारण वो कई बार ऐसे वरदान भी दे देते थे जिनके कारण आम जन मुश्किल में आ जाते थे। खैर भोलेनाथ की महिला अपरंपार है। आ हम आपको कुछ ऐसी बातों के विषय में बताएंगे जो शंकर भगवान से जुड़ी हुई हैं। उनकी पूजा और आराधना के लिए इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की महिमा के बारे में बताएंगे।
बेलपत्र की महिमा
भगवान शंकर को जो वस्तुएं अर्पित की जाती हैं उनमें बेल पत्र का अहम स्थान है। ये भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। कहा जाता है कि भगवान शंकर को एक लोटा जल अर्पित किया जाए और बेल पत्र अर्पित किया जाए तो भगवान शिव की कृपा आसानी से मिल जाती है। क्या आप जानते हैं कि बेल पत्र की महिमा क्या है, वो इतना मूल्यवान क्यों माना जाता है। उसे किस तरह से इस्तेमाल करना चाहिए।
तीन जन्मों के पाप नष्ट करता है बेल पत्र
बेल पत्र की महिमा के बारे में बताने से पहले आपको बता दें कि बेल पत्र तीन जन्मों के पाप को नष्ट कर देता है। पुराणों में इसकी महिमा के बारे में विस्तार से लिखा गया है। भोलेनाथ को सृष्टि का आदि और अंत माना गया है। उनकी कृपा अगर मिल गई तो तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके लिए बेल पत्र के साथ उनकी आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा और क्या करना चाहिए ये भी बताते हैं।
बेल पत्र के बिना शिव पूजा अधूरी
अब आपको बेल पत्र के बरे में बताते हैं। बेल के पेड़ की पत्तियों को बेल पत्र कहा जाता है. तीन पत्तियां एक ही प्रकार से जुड़ी होती हैं, इनको एक पत्ता माना जाता है. शिव जी की पूजा में बेल पत्र के अद्भुत प्रोयग होते हैं और बिना बेल पत्र के शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। बेल पत्र के औषधिय प्रयोग भी हैं, इसके प्रयोग से तमाम बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
बेल पत्र प्रयोग करने में सावधानी
बेल पत्र का इस्तेमाल करने और उनको भोलेनाथ पर चढ़ाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिएं। एक बेल पत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए, पत्तियां टूटी हुई ना हो और उनमें छेद भी नहीं होना चाहिए . शिव जी को जब भी बेल पत्र अर्पित करें तो चिकनी तरफ से ही चढ़ाएं, एक ही बेल पत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें कि बिना जल के बेल पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए
बेल पत्र से बनेगा विवाह योग
अगर आपकी या फिर आपके घर में किसी का विवाह नहीं हो रहा है तो 108 बेल पत्र लें और उनपर चंदन से राम लिखें, ऊं नम: शिवाय कहते हुए बेल पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं. जब 108 बेल पत्र चढ़ा लें तो शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें, ये प्रयोग सावन के महीने में विशेष रूप से फलदायी होता है। इसलिए कुवांरी कन्याएं सावन में सोमवार का व्रत करती हैं।
शिव जी पूजा डमरु बजाकर करें
शिव जी के साथ हमेशा रहने वाला डमरू भी काफी अहम है। ऐसा कहा जाता है कि शिव जी की स्तुति डमरु बजाकर की जाए तो शिव जी खुश होते हैं, रोज सुबह करना बहुत अच्छा होता है. ऐसा करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है, तनाव दूर होता है और चिंताएं खत्म होती हैं. जीवन में किसी तरह का कष्ट नहीं होता है। परिवार की सुख शांति बरकरार रहती है।
सेहत के लिए अमृत है बेल पत्र
बेल पत्र का प्रयोग सेहत के लिए भी किया जाता है। सोमवार के दिन 108 बेल पत्र लें, एक बर्तन में चंदन का इत्र लें. बेल पत्र चंदन में डुबाते जाएं और शिवलिंग पर अर्पित करते जाएं, हर बेल पत्र के साथ ऊं हौं जूं स: कहें. इस मंत्र का जाप करने के बाद कहते जाएं की भगवान आपका स्वास्थ ठीक हो जाए. ये प्रयोग सावन क महीने में विशेष रूप से फलदायी मना जाता है।
बेहद खास है बेलपत्र
बेल पत्र के और भी फायदे हैं, आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बेल पत्र के पत्तों का रस आंखों में लगाने से राहत मिलती है. कफ से राहत पाने के लिए बेल के पत्तों का काढ़ा शहद में मिलाकर पीए उस से फायदा मिलेगा। बेलपत्र के 11 पत्तों का रस निकालकर सुबह पीने से पुराना सिरदर्द ठीक हो जाता है. शिव की पूजा के अलावा भी बेल पत्र का इस्तेमाल किया जाता है। तो आगे से जब भी शिव आराधना करें तो इन बातों का ख्याल रखें।