ये कारनामा करने वाली रुबीना फ्रांसिस देश की पहली पैराशूटर हैं, उन्होने बैकॉक में वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स में गोल्ड मेडल हासिल किया है।
New Delhi, Nov 13 : 16 साल की मध्य प्रदेश की पैराशूटर रुबीना अपने पैरों पर ठीक से खड़ी तक नहीं हो पातीं, लेकिन उन्होने अपने हौंसले और हुनर के बल पर देश को गोल्ड मेडल दिलाया है, जी हां, ये कारनामा करने वाली रुबीना फ्रांसिस देश की पहली पैराशूटर हैं, उन्होने बैकॉक में वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स में गोल्ड मेडल हासिल किया है। रुबीना के साथ दिल्ली की पूजा अग्रवाल और सोनिया शर्मा ने मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल के टीम इवेंट में 1070 प्वाइंट लेकर गोल्ड जीता, मेजबान थाईलैंड 1048 प्वाइंट के साथ सेकेंड पोजीशन पर रहा।
जबलपुर की रहने वाली है रुबीना
बैंकॉक में देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाली रुबीना फ्रांसिस मूल रुप से मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है, उनके यहां तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है, उनके पिता साइमन फ्रांसिस जबलपुर में ही बाइक ठीक करने का काम करते थे, उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन बावजूद वो यहां तक पहुंची और देश का नाम रोशन किया ।
अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती
रुबीना के दोनों पैर कमजोर और मुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से चलना तो छोड़िये, बल्कि वो अपने पैरों पर भी खड़ी भी नहीं हो पाती है। बावजूद वो हिम्मत नहीं हारी और साल 2014 में शूटिंग में करियर शुरु किया, जबलपुर की गगन नारंग शूटिंग एकेडमी ने सेंट एलॉयसिस स्कूल में ट्रायल कैंप लगाया था। रूबीना इसी में शामिल हुई थी और 47 स्कोर किया था, इस कैंप के बाद उन्हें 15 दिन के ट्रेनिंग के लिये चुना गया था, फिर एक साल की ट्रेनिंग भी वहीं हुई।
पिता की दुकान नगर निगम दस्ते ने उजाड़ा
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि जबलपुर के ग्वारीघाट रोड पर नगर निगम के दस्ते ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया, इसमें उनके पिता साइमन फ्रांसिस की बाइक रिपेयरिंग की दुकान भी उजड़ गई, उनके परिवार का पूरा खर्चा इसी दुकान से चलता था, सो भूखों मरने की नौबत आ गई, ऐसे में बेटे के एकेडमी के लिये पैसे का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा था।
पिता के साथ भाई ने शुरु किया काम
लेकिन साइमन ने भी हिम्मत नहीं हारी, दुकान उजड़ने के बाद उन्होने घर-घर जाकर बाइक सुधारने के काम शुरु किया, तो रूबीना के भाई एलेक्जेंडर पढाई के साथ-साथ पीओपी का काम करने लगे। लेकिन रूबीना के लिये एकेडमी के फीस का इंतजाम नहीं हो सका, तो उन्हें एकेडमी से निकाल दिया गया, लेकिन वो हिम्मत हारने वाली नहीं थी, उन्होने फिर से इसी साल जुलाई में एमपी स्टेट शूटिंग एकेडमी भोपाल में एडमिशन लिया और थाईलैंड के सफर तक पहुंच गई।
रूबीना का खर्च ये उठाते हैं
अब एकेडमी में रुबीना फ्रांसिस का पूरा खर्च स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट उठाता है, आपको बता दें कि 11वीं की छात्रा ये दिव्यांग लड़की खालसा स्कूल जबलपुर में पढती हैं, इन्होने अब तक के अपने छोटे से करियर में नेशनल लेवल के 6 गोल्ड और 1 सिल्वर जीत चुकी हैं। इतना ही नहीं उनके करीबियों का दावा है कि इस लड़की में जबरदस्त प्रतिभा है, अगर इन्हें सुविधाएं मुहैया कराया जाए, तो ये देश का नाम रौशन करेगी।
सबसे कम उम्र की शूटर
आपको बता दें कि रुबीना अब तक दो इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी है, इससे पहले वो दुबई में इंटरनेशनल इवेंट में हिस्सा लेने वाली सबसे कम उम्र की शूटर बनीं थीं, अब जब दूसरे इंटरनेशनल टूर्नामेंट में वो हिस्सा लेने बैकॉक गई, तो अपने देश के लिये गोल्ड मेडल लेकर आई। रुबीना की इस उपलब्धि से उनका परिवार ही नहीं बल्कि आस-पड़ोस के लोग भी काफी खुश हैं।
पहली रैंकिग
रुबीना फ्रांसिस काफी प्रतिभाशाली है, जब वो पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलने गई थी, तब भी उन्होने सब को प्रभावित किया था, वहां उन्होने सबसे ज्यादा प्वाइंट बनाये थे। आपको बता दें कि देश में दिव्यांग कैटेगिरी में उनकी पहली रैंकिग हैं। उनकी शूटिंग की काबिलियत और क्षमता की लोग खूब तारीफ करते हैं।
हमारे प्लेयर वर्ल्ड कप में जीत रहे गोल्ड
मध्य प्रदेश की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि हमारे प्लेयर विश्व कप, एशिया कप, कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े टूर्नामेंट में लगातार मेडल ला रहे हैं, ये प्रदेश के लिये सबसे बड़ी उपलब्धि है। हमने 10-12 साल पहले जो सपना देखा था, अब धीरे-धीरे सच होता नजर आ रहा है। मैं रूबीना फ्रांसिस को बधाई देना चाहती हूं, जिन्हें गोल्ड जीत कर हमें खुशी का मौका दिया।