16 साल की उम्र में आदमखोर शेर से सामना, मां को बचाया, मिलेगा वीरता पुरस्कार

कभी कभी कुछ किस्से ऐसे होते हैं, जो लोगों के दिमाग में अलग जगह बना लेते हैं। इनमें से एक वीर लड़का भी है। इसके लिए उसे वीरता पुरस्कार मिलेगा।

New Delhi, Jan 17: 16 साल की उम्र में किसी का अगर शेर या फिर गुलदार से सामना हो जाए, तो पसीने निलकने लगते हैं। खास तौर पर गुलदार जब आदमखोर हो जाए, तो और भी ज्यादा मुसीबत खड़ी हो जाती है। लेकिन एक बच्चे ने 16 साल की छोटी सी उम्र में गुलदार का सामना किया, अपनी मां को उसके जबड़े से बचाया और अब इस बच्चे का नाम वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।

पंकज ने दिखाया पराक्रम
इस बच्चे का नाम पंकज है, जो कि उत्तराखंड के टिहरी के सुदूर गांव का रहने वाला है। पहाड़ी गांवों में अक्सर गुलदार, शेर और भयानक जंगली जानवरों को डर हर किसी को रहता है। लेकिन पंकज ने आदमखोर गुलदार का डटकर सामना किया। टिहरी के गांव नारगढ़ के रहने वाले इस बच्चे ने वीरता की एक नई मिसाल कायम की है, जिस वजह से इसे सम्मानित किया जाएगा।

आदमखोर गुलदार का किया सामना
जुलाई 2016 को पंकज की मां और छोटे भाई-बहन पर आदमखोर गुलदार ने हमला कर दिया था। पंकज ने जैसे ही मां के चिल्लाने की आवाज सुनी, तो वो दौड़े दौड़े अपनी मां के पास चले आए। पंकज ने सामने देखा कि गुलदार ने उसकी मां और भाई-बहनों को निशाना बनाया है। इसके बाद उन्होंने आव देखा ना ताव और बिना डरे गुलदार से जा भिड़े।

गुलदार के हमले से डरे नहीं
गुलदार ने पंकज पर हमला भी किया, लेकिन पंकज डरे नहीं। उन्होंने पास में डंडा देखा। पंकज ने डंडा उठाया और बे्तहाशा गुलदार पर वार करने शुरू कर दिए। बगल में पंकज के भाई बहन भई थे, वो ये सब देखकर सन्न रह गे। पंकज के सिंर पर मानों अपनी मां को बचाने का जुनून सवार था। वो लगातार बाघ पर हमला करते जा रहे थे।

मां घायल हो चुकी थीं
हमले में पंकज की मां विमला देवी घायल हो चुकी थी और लगातार उनके शरीर से खून बह रहा था। पंकज का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। अपनी मां को लहुलुहान होते देख पंकज का क्रोध उफान मारने लगा। गुलदार पर ऐसे ऐसे वार किया कि उसे मजबूर होकर वहां से भागना पड़ा। शोर-शराबा सुन मौके पर गांव के लोग पहुंचे।

गांव के लोगों ने की मदद
गांव के लोगों ने पंकज की घायल मां को 15 किमी दूर अस्पताल पहुंचाया। पंकज के पिता नहीं हैं और मां घर में खेती का काम कर परिवार चलाती है। उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने गहन जांच-पड़ताल के बाद प्रदेश से 4 वीर साहसी बच्चों का नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2018 के लिए भेजा था। जिनमें पंकज सेमवाल का नाम फाइनल हो गया है।

अब राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
अब 26 जनवरी का दिन होगा और पंकज को वीरता के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।  भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली से फाइनल सलेक्शन पंकज सेमवाल का ही हुआ। 16 वर्ष की उम्र में गुलदार का सामना करने का जज्बा दिखाने वाले उत्तराखंड के वीर बालक पंकज सेमवाल की वीरता को उत्तराखंड ही नहीं, देश ने भी स्वीकारा है।