किकइंफो में छपी किताब के अंशों के अनुसार मोहिंदर अमरनाथ ने राजदीप सरदेसाई को बताया था कि वो महेन्द्र सिंह धोनी को कप्तानी से हटाना चाहते थे।
New Delhi, Nov 14 : पूर्व चयनकर्ता और क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने हाल ही में एक बड़ा सनसनीखेज खुलासा किया है, उन्होने कहा कि साल 2012 में राष्ट्रीय चयनकर्ता की हैसियत से वो महेन्द्र सिंह धोनी को टीम की कप्तानी से हटाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन ने ऐसा नहीं करने दिया। इस बात का जिक्र देश के वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई की किताब डेमोक्रेसी-11 में हुआ है।
टीम इंडिया का कप्तान कौन होगा ?
किकइंफो में छपी किताब के अंशों के अनुसार मोहिंदर अमरनाथ ने राजदीप सरदेसाई को बताया था कि वो महेन्द्र सिंह धोनी को कप्तानी से हटाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष श्रनिवासन ने उनसे कहा कि सिलेक्टर्स नहीं बल्कि बोर्ड अध्यक्ष तय करेगा कि टीम इंडिया का कप्तान कौन होगा ? उन्होने मेरे इस फैसले के लिये वीटो का भी इस्तेमाल किया था।
श्रीनिवासन ने वीटो का इस्तेमाल किया
जब बीसीसीआई पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन से पूछा गया कि क्या उन्होने धोनी के लिये वीटो का इस्तेमाल किया था, तो उन्होने इस खबर की पुष्टि की, उन्होने कहा कि आप किसी को कप्तानी से कैसे हटा सकते हैं, जिसने कप्तानी संभालते ही एक साल के भीतर आपको विश्व विजेता बनाया हो, साथ ही इस खबर से इस बात की भी पुष्टि होती है कि बीसीसीआई अध्यक्ष और कप्तान के बीच खास रिश्ता था, जो एक सामान्य खिलाड़ी और अधिकारी के रिश्तों से अलग था।
आईपीएल ने धोनी-श्रीनिवासन को करीब लाया
जी हां, आईपीएल के शुरुआती दिनों में ही धोनी और श्रीनिवासन के संबंध फले-फूले थे, तब माही चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान बनाये गये थे, हालांकि तब उनके चयन पर भी सवाल उठे थे, क्योंकि धोनी हिन्दी भाषी क्षेत्र के हैं, और उन्हें तमिल भाषी टीम की कप्तानी दी गई थी। तब माही ने हंसते हुए कहा था कि ये हिन्दी फिल्मों की तरह है, जहां उत्तर भारत के लड़के को दक्षिण भारत की लड़की से प्यार हो जाता है।
धोनी-श्रीनिवासन की दोस्ती मैदान के बाहर भी फली-फूली
ऐसा नहीं है कि इन दोनों की दोस्ती सिर्फ मैदान पर ही चमकी, साल 2013 में खबर आई थी कि स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी रीति स्पोर्ट्स, जिसमें धोनी का काफी पैसा लगा था, चेन्नई सुपर किंग्स और टीम इंडिया के खिलाड़ियों के अनुबंध की देख-रेख करती है, ये हितों का टकराव ही था, क्योंकि कोई कप्तान जिसकी खिलाड़ियों के चयन में भूमिका होती है, उनकी कंपनी कैसे खिलाड़ियों के कारोबार को देख सकती है।
अरुण पांडे संभालते हैं कंपनी
पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने अपनी करीबी दोस्त अरुण पांडे के साथ मिलकर बनाई थी, पांडे ही धोनी का सारा कारोबार देखते हैं, साल 2014 तक इस कंपनी की कमाई एक अरब 94 करोड़ रुपये हो गई थी, जिसमें विज्ञापन से इन्हें 1 करोड़ 68 लाख रुपये मिलते थे। हालांकि माही का कहना है कि उन्हें पैसे से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
निर्दयी हैं धोनी
किसी जमाने में महेन्द्र सिंह धोनी का कांट्रेक्ट देखने वाले कोलकाता के मार्केटिंग कंसल्टेंट जीत बनर्जी का कहना है कि माही के मीठी-मीठी बातों पर ना जाएं, जब बात पैसों की होती है, तो वो निर्दयी हो जाते हैं, उन्होने पैसों के खातिर मुझे और मेरे परिवार के पीछे पुलिस लगा दिया था, लेकिन कैमरे पर वो बड़ी मीठी-मीठी बातें करेंगे।
सीएसके ने दी थी धोनी को बाइक
एन श्रीनिवासन के अनुसार चेन्नई के लोग क्रिकेट को गंभीरता से लेते हैं, महेन्द्र सिंह धोनी ने बहुत जल्दी ही हमारी क्रिकेट संस्कृति को अपना लिया, वो टीम की सफलता का आधार बन गये, धोनी जब सीएसके में शामिल हुए थे, तो हमने उन्हें एक बाइक गिफ्ट की थी, वो उस बाइक से चेन्नई की सड़कों पर घूमा करते थे, ट्रैफिक लाइट पर रुकते थे, आस-पास से गुजरने वाले लोगों को देखकर मुस्कुरा देते थे।
श्रीनिवासन पर गंभीर आरोप
एन श्रीनिवासन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, उन पर आरोप है कि बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए उन्होने चेन्नई के खिलाड़ियों पर ज्यादा ही मेहरबानी दिखाई, पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी का दावा है कि श्रीनिवासन ने 2010 में ऑक्शन के बगैर ही धोनी को स्टार खिलाड़ी का दर्जा बरकरार रखने के लिये जवाब डाला था, ये गैरकानूनी था, क्योंकि स्टार खिलाड़ी का दर्जा सिर्फ तीन साल के लिये था, लेकिन श्रीनिवासन ने ऐसा किया।