नवाजुद्दीन सिद्दीकी की एक पूर्व प्रेमिका ने उनकी किताब आने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर की है और फेसबुक पर उनके नाम खुला खत लिखा है ।
New Delhi, Oct 29 : ‘तुम्हें औरतों की इज्जत करनी नहीं आती नवाज, घिन आती है तुमसे’ ।।। बाबूमोशाय बंदूकबाज अब अपनी ही किताब में फंसते जा रहे हैं । नवाज ने अपनी किताब में अपने पास्ट से जुड़ी कई बातें उजागर की हैं । नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कई महिलाओं से अपने अफेयर की बातें भी किताब में लिखी हैं । नवाज की यही सच्चाई अब उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है । किताब में अपना नाम देखकर नाराज हुई इस थिएटर आटिस्ट ने नवाज को खूब खरीखोटी सुनाई है ।
An Ordinary Life: A Memoir नाम से आई है किताब
नवाजुद्दीन सिद्दी की जिंदगी पर लिखी गई इस किताब ने में नवाज ने लिखा है कि सुनीता राजावर उनका पहला प्यार थीं । लेकिन गरीबी की वजह से उन्होंने उन्हें छोड़ दिया था । उन्होंने दावा किया कि बेरोजगारी की वजह से जब उनका ब्रेकअप हुआ, उस वक्त वो सुसाइड तक की सोचने लगे थे । सुनीता ने किताब में किए गए इस दावे को सिरे से खारिज किया है ।
सुनीता ने फेसबुक पर लिखा खुला खत
सुनीता राजवार एक थिएटर आर्टिस्ट हैं और पूर्व में उनके नवाज से संबंध रह चुके हैं । लेकिन नवाज ने जो वजह उनके ब्रेकअप की बताई वो उन्हें नागवार गुजर रही है । सुनीता की फेसबुक पोस्ट : कहते हैं नसीब वक्त बदल सकता है, इंसान की फितरत नहीं। नवाज की किताब पढ़कर कुछ एेसा ही लगा और यकायक ‘मेलाराम वफ़ा’ का एक शेर याद आ गया, “एक बार उसने मुझको देखा था मुस्कुराकर, इतनी सी हकीकत है बाकी कहानियां हैं”। क्योंकि इस बायोग्राफी में काफी हद तक सिर्फ छपाई है, सच्चाई नहीं, कई बातें नवाज़ ने अपने मन से, अपने हिसाब से और अपने हक में लिखी हैं।
‘नवाज ने ये ठीक नहीं किया’
चित भी मेरी पट भी मेरी टाइप्स। उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से खुद को बुरा भी कह दिया है और उतनी ही खूबसूरती से अपनी बुराई का सारा ठींकरा औरतों पर फोड़ दिया है। खासकर मुझ पर, क्योंकि उनकी मानें तो मेरे बाद उनका प्यार से और औरतों से विश्वास ही उठ गया था और उनके सारे इमोशन्स RIP यानी रेस्ट इन पीस हो गये थे।
‘असलियत कुछ और ही है’
बहरहाल, उनकी बायोग्राफी में जहां तक मेरा सवाल है तो उनके झूठ का फलसफा वहीं से शुरू हो जाता है, जहां से मेरा जिक्र, यानी शुरुआत की पहली दो लाइन से ही, जहां नवाज़ कह रहे हैं कि वो मुझे एनएसडी में कभी नही मिले। NSD में वो मेरे एक साल सीनियर थे तो ज़ाहिर है मुलाकात तो होती होगी। हां उस वक्त हमारे बीच कुछ था नहीं, लेकिन ये कहना कि कभी मिले ही नहीं, ये अटपटा सा ज़रूर लगता है।
‘किताब में लिखा है सिर्फ झूठ’
फिर उन्होने कहा कि मैं उनके घर की दीवारों में आर्ट-वर्क करती थी, हमारे नाम उकेरा करती थी, दिल बनाया करती थी, जिनके बीच से होकर कभी-कभी तीर भी गुज़रा करता था। ये पढ़कर ऐसा लगा मानो मैं उनसे मिलने नहीं, बल्कि उनकी आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स क्लास लेने जाती थी। हद तो तब हो गई जब उन्होंने रोमांटिक बॉलीवुड मूवी स्टाइल में लिख दिया कि हमारे ब्रेक-अप के बाद उन्होंने वाइट पेंट की बाल्टी ली और ब्रश से मेरे आर्ट-वर्क को दीवार से और मुझे दिल से मिटाते गए।
‘नवाज़ हमेशा से Sympathy seeker रहे हैं’
कभी अपने रंग रूप को लेकर, कभी गरीबी को लेकर, कभी ये कहकर की वो वॉचमैन की नौकरी कर चुके हैं, जब की सच तो ये है कि उस वक्त उनका फैमली बैकग्राउंड मेरे फैमली बैकग्राउंड से अच्छा था। एक कामयाब आदमी को इतना इनसिक्योर देखकर कामयाबी से डर सा लगने लगता है कभी-कभी। ख़ैर, नवाज़ का कहना है कि वो गरीब थे और स्ट्रगलर थे इसलिये मैने उन्हें छोड़ दिया। तो नवाज़ मैं क्या थी, तुम से गरीब तो मैं थी, तुम तो कम से कम अपने घर मैं रह रहे थे मैं तो दोस्त के घर में रहकर स्ट्रगल कर रही थी।
‘ब्रेकअप की सुनाई झूठी कहानी’
अब जब तुम सब हदें पार कर ही चुके हो तो ये भी जान लो कि मैंने तुम्हें क्यों छोड़ा था, मैंने तुम्हें इसलिए छोड़ा था क्योंकि तुम हमारे संबंध का मज़ाक बनाते हुए सब व्यक्तिगत बातें हमारे कॉमन फ्रेंड्स के साथ शेयर किया करते थे। तब मुझे पता चला कि तुम औरत और प्यार के बारे में क्या सोच रखते हो । दूसरा बड़ा झूठ जिसने मुझे ये पोस्ट लिखने के लिए मजबूर किया वो ये कि तुम्हारे सफल होने पर मैंने लोगों को ये बताना शुरु कर दिया कि कभी तुम्हारे और मेरे गहरे संबंध थे। ना मैंने तब किसी को कुछ बोला था और ना आज तक किसी को कुछ बताया।
‘गरीबी नहीं मैंने तुम्हे गरीब सोच के कारण छोड़ा’
तुमने लिखा है कि मैं तुम्हारा पहला प्यार थी, सूखे में पहली बारिश की तरह, अगर ये पहला प्यार था तो भगवान करे किसी को ऐसा पहला प्यार न मिले। आज नाम है तुम्हारा, अच्छा काम कर रहे हो, इसलिए तब तो नहीं कहा था, पर अब जरूर कहूंगी कि अपने करियर पर फोकस करो।
मैंने तुम्हें तुम्हारी गरीबी की वजह से नहीं तुम्हारी गरीब सोच की वजह से छोड़ा था। तुमने अपनी बायोग्राफी से साबित कर दिया कि मैं जिस नवाज़ को जानती थी तुम आज उससे ज्यादा ग़रीब हो। ना तुम्हें तब औरतों की इज़्जत करनी आती थी और ना ही अब सीख पाए हो। तुम्हारे हालात पर बस इतना ही कहूंगी, “ जा, तू शिकायत के काबिल होकर आ, अभी तो मेरी हर शिकायत से तेरा क़द बहुत छोटा है”।।
और हाँ, मैं पहाड़न नहीं, पहाड़ हूं।।।